देश में एक और एयरलाइंस कंपनी बिकने के कगार पर

संभव है कि बहुत जल्द देश में एक और एयरलाइंस कंपनी बिक जाए. जी हां, सस्ती विमान सेवा देने वाली कंपनी गो फर्स्ट बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है. कंपनी का घाटा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, और अब इस पर मालिकाना हक रखने वाला वाडिया ग्रुप इससे उबरने के तौर-तरीकों पर विचार कर रहा है.

गो फर्स्ट को वित्त वर्ष 2021-22 में सबसे ज्यादा वार्षिक घाटा हुआ था. वहीं पिछले कई महीनों से कंपनी ऑपरेशनल नुकसान भी उठा रही है. इसकी वजह प्रैट एंड व्हिटनी के इंजन में समस्या की वजह से उसके आधे से ज्यादा एयरक्राफ्ट्स का पार्किंग में खड़े रहना है.

तो क्या बिक जाएगी गो फर्स्ट?

सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वाडिया ग्रुप गो फर्स्ट में किसी स्ट्रैटेजिक पार्टनर को जोड़ सकता है. नहीं तो एयरलाइंस की पूरी हिस्सेदारी बेचकर इस बिजनेस से बाहर आ सकता है.

जुटाया 600 करोड़ का लोन

पिछले कई महीनों से गो फर्स्ट को बिजनेस का नुकसान हो रहा है, जबकि घरेलू एविएशन मार्केट बूम पर है. इससे निपटने के लिए कंपनी ने सरकार की ‘इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम’ के तहत 600 करोड़ रुपये का लोन जुटाया.

इसके अलावा वाडिया ग्रुप ने पिछले 15 महीनों में कंपनी में 3,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है. ईटी की खबर के मुताबिक कंपनी की कोशिश थी कि जब देश में एयर ट्रैवल डिमांड बढ़ रही है, तो वह इस पैसे से अपने ऑपरेशन को बेहतर बनाएगी.

घट रही नेटवर्थ, बढ़ रहा कर्ज और घाटा

अगर गो फर्स्ट के वित्तीय आंकड़ों पर नजर डालें तो कैपिटल लाइन के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में कंपनी का घाटा जहां 870 करोड़ रुपये था. वहीं 2021-22 में ये बढ़कर 1804 करोड़ रुपये हो गया. इसी तरह कंपनी पर कर्ज 2020-21 में 2540 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 3513 करोड़ रुपये हो गया.कंपनी की नेटवर्थ को देखें तो वित्त वर्ष 2020-21 में ये 2361 करोड़ रुपये के घाटे में थी, जो 2021-22 में बढ़कर 3317 करोड़ रुपये के घाटे में आ गई. कंपनी ने वित्तीय स्थिति बेहतर करने के लिए आईपीओ लाने की भी योजना बनाई थी, लेकिन ओमिक्रॉन फैलने की वजह से कंपनी ने इसे रद्द कर दिया. जब इसे दोबारा लॉन्च करने का प्लान बनाया तब कंपनी के सामने प्रैट एंड व्हिटनी इंजन से जुड़ी समस्या खड़ी हो गई.

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