सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद के निर्माण के लिए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी

नई दिल्ली: सु्प्रीम कोर्ट ने नई संसद के निर्माण के लिए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए भूमि उपयोग में बदलाव संबंधी अधिसूचना और पर्यावरण मंजूरी को बरकरार रखा।  हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि निर्माण कार्यों के दौरान पर्यावरण का ख्याल रखा जाए और निर्माण शुरू करने से पहले हेरिटेज कंजरवेशन कमेटी से भी इजाज़त लेनी होगी ।

कोर्ट ने कहा केंद्र सरकार से इस संबंध में जो फैसला लिया और जिस तरह से अपने अधिकारों को प्रयोग किया वह उचित है। पर्यावरण समिति की सिफारिशें उचित हैं।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परियोजना के निर्माण के दौरान धूल से बचने के लिए स्मॉग टॉवर स्थापित किये जाएं और पर्यावरण के अनुकूल निर्माण सामग्री का उपयोग किया जाए।

पीएम मोदी ने 10 दिसंबर को किया था शिलान्यास

इस परियोजना की घोषणा पिछले वर्ष सितम्बर में हुई थी, जिसमें एक नये त्रिकोणाकार संसद भवन का निर्माण किया जाना है। इसमें 900 से 1200 सांसदों के बैठने की क्षमता होगी। इसके निर्माण का लक्ष्य अगस्त 2022 तक है, जब देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। पीएम मोदी ने 10 दिसंबर को संसद के नए भवन का शिलान्यास किया था। साझा केन्द्रीय सचिवालय के 2024 तक बनने का अनुमान है। इसका निर्माण कार्य 2022 तक पूरा होने की संभावना है, जिसमें 971 करोड़ रुपये का खर्चा आ सकता है। याचिकाएं भूमि उपयोग बदलाव सहित विभिन्न मंजूरियों के खिलाफ दायर की गई थीं।

मौजूदा संसद भवन में जगह की कमी
मौजूदा संसद भवन में स्थान के अभाव और भविष्य में लोकसभा सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना के कारण नए संसद भवन तैयार किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन वर्ग किमी के क्षेत्र में मौजूद इमारतें एवं उद्यान सेंट्रल विस्टा के अंतर्गत आते हैं।  केन्द्रीय सचिवालय के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालय कृषि भवन सहित 47 भवनों से संचालित हैं। संपदा निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में लगभग 3.8 लाख वर्ग मीटर में कार्यालयी स्थान की कमी है, इस कारण से केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों के लिये किराए पर स्थान उपलब्ध कराना पड़ता है।

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