सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की पीएम केयर्स फंड पर याचिका, नहीं होगा एनडीआरएफ में ट्रांसफर

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को तगड़ा झटका देते हुए पीएम केयर्स फंड को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) में ट्रांसफर करने की मांग खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने निर्णय सुनाते हुए कहा, पीएम केयर्स फंड चैरिटी फंड की तरह है, इसलिए इसमें जमा रकम को ट्रांसफर करने की कोई जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि कोई भी व्यक्ति या संस्थान एनडीआरएफ में दान कर सकता है।

अदालत ने कहा, “केंद्र सरकार इसकी राशि को उचित जगह ट्रांसफर करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “एनडीआरएफ में योगदान करने के लिए किसी भी व्यक्ति और कॉर्पोरेटों के लिए कोई वैधानिक बाधाएं नहीं हैं।”

बता दें कि यह याचिका एनजीओ ‘सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन’ द्वारा अधिवक्ता प्रशांत भूषण के जरिए दायर की गई थी। याचिका में पीएम केयर्स फंड में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष में प्राप्त महामारी से निपटने और धन हस्तांतरित करने को लेकर एक राष्ट्रीय योजना तैयार करने के लिए दिशा-निर्देश देने की मांग की गई।

इससे पहले केन्द्र ने पीएम केयर्स फंड का पुरजोर बचाव किया और कहा कि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिये यह स्वैच्छिक योगदान का फंड है और राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष तथा राज्य आपदा मोचन कोष के लिये बजट में किये गये आवंटन को हाथ भी नहीं लगाया गया है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीएम केयर्स फंड के बारे में बयान दिया।

केन्द्र ने 28 मार्च को पीएम केयर्स फंड का गठन किया था। इसका मुख्य उद्देश्य कोविड-19 जैसी महामारी जैसी किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिये धन एकत्र करना और प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करना था। प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष हैं जबकि रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री इसके पदेन न्यासी हैं।

याचिकाकर्ता संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि सरकार ने बताया है कि पीएम केयर्स फंड का निजी ऑडिटर्स से ऑडिट कराया जायेगा। दवे ने इस कोष की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि यह संविधान के साथ धोखा है। एक अन्य पक्षकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवकता कपिल सिब्बल ने कहा कि सीएसआर योगदान के सारे लाभ पीएम केयर्स फंड को दिये जा रहे हैं ओर वे राज्य आपदा राहत कोष के लिये इंकार कर रहे हैं।

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