सांसदों का निलंबन नहीं होगा वापस, सभापति द्वारा मांग खारिज करने के बाद विपक्ष ने किया वॉकआउट

नई दिल्ली. राज्यसभा के सभापति और उप राष्ट्रपति एम वेंकेया नायडू ने विपक्ष की उस मांग को खारिज कर दिया है जिसमें विपक्षी दलों ने 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग रखी थी। इसके बाद विपक्ष के सांसदों ने हंगामा करते हुए राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया। आपको बता दें कि राज्यसभा से पहले लोकसभा में भी विपक्ष द्वारा हंगामा किया गया, जिस वजह से लोकसभा 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

संसद में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने निलंबन को नियमों के विरुद्ध बताया था और सभापति से निलंबन वापस लेने की मांग की थी। मल्लिकार्जुन खड़गे ने तर्क दिया कि पिछले सत्र के मामले के लिए मौजूदा सत्र के लिए सांसदों को कैसे निलंबित किया जा सकता है। खड़गे के जवाब में सभापति ने कहा कि राज्यसभा हमेशा रनिंग हाउस रहता है और सदन तथा सभापति को निलंबन का पूरा अधिकार है।

लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीरंजन चौधरी ने वॉकआउट के बाद कहा कि यहां पर ज़मींदारी या राजा नहीं है कि हम बात-बात पर इनके पैर पकड़ें और माफी मांगे। ये ज़बरदस्ती क्यों माफी मंगवाना चाहते हैं। इसे हम बहुमत की बाहुबली कह सकते हैं। ये लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं। इस वक्त दोनों सदनों के विपक्षी सांसद संसद भवन में मौजूद गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं।

आपको बता दें कि संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने के लिए, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया। उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।

जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

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