शिवपाल यादव का बड़ा ऐलान, उनकी पार्टी अकेले दम पर लड़ेगी आगामी चुनाव

उत्तर प्रदेश की राजनीति के चर्चित चेहरे शिवपाल यादव बुधवार को एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी अब अपने दम पर आगामी निकाय चुनाव में लड़ेगी और अपने उम्मीदवार उतारेगी। जानिए क्यों सपा से खफा चल रहे हैं शिवपाल यादव।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और अपने भतीजे अखिलेश यादव के साथ पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ही उनकी अनबन चल रही है। इसके कई कारण रहे। कभी शिवपाल यादव कह चुके हैं कि सपा की बड़ी ​मीटिंग में उन्हें नहीं बुलाया जाता है, कभी स्टार प्रचारकों की लिस्ट से उनका नाम नदारद रहता है।

दरअसल, शिवपाल यादव को हाल ही में अपने एक निर्णय से भतीजे अखिलेश यादव ने झटका दिया था। दरअसल, रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें शिवपाल यादव का नाम नहीं था। इसके बाद बुधवार शाम को शिवपाल यादव ने अपने पदाधिकारियों के साथ बैठक की और अपने निर्णय से अखिलेश को झटका देते हुए कहा कि  प्रगतिशील सामाजवादी पार्टी (लोहिया) अपने पूर्व के अनुभवों से सबक लेते हुए आसन्न स्थानीय निकाय का चुनाव अपने दम पर लड़ेगी।

सपा हमने खुले दिल से गठबंधन किया, पर मिला विश्वासघात: शिवपाल

शिवपाल यादव का अक्सर ये दर्द छलकता है कि उनके साथ सपा ने न्याय नहीं किया। उन्होंने जिक्र किया कि पिछले कुछ महीने मेरे जीवन के सबसे कठिन समय थे। यह राजनीतिक धैर्य, त्याग, आत्म संयम और समाज की उम्मीदों की परीक्षा थी। आप सभी के भावनाओं और जनभावना का सम्मान करते हुए हमने खुले हृदय से सपा के साथ गठबंधन किया था, उसके प्रतिउत्तर में हमारे साथ विश्वासघात हुआ। उन्होंने इस बात को दोहराया कि सपा के इस घात का ही परिणाम यह है कि आज अखिलेश की पार्टी विपक्ष में बैठी नजर आ रही है। शिवपाल ने कहा कि प्रसपा प्रगतिशील समाजवाद व समावेशी राष्ट्रवाद के सिद्धांत के साथ आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के नाम पर विभाजन और नफरत की राजनीति की इजाजत किसी को नहीं है।

शिवपाल सपा में यूं हाशिए पर जाते गए

जब से मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी से सक्रिय भूमिका कम होती गई, तभी से अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव की भूमिका भी सपा में घटती गई। वर्ष 2017 से शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के बीच नाराजगी चल रही थी। हालांकि तब मुलायम सिंह ने अपने भाई और बेटे दोनों के बीच मतभेद दूर कराके दोनों चाचा-भतीजे की नाराजगी साल 2022 के चुनाव से पहले दूर करा दी थी। जिसके बाद बीजेपी को हराने के मकसद से चाचा और भतीजा साथ चुनाव लड़े थे। तब शिवपाल ने अखिलेश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का ऐलान किया था और अपनी पार्टी से किसी प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया था। खुद भी वे सपा के टिकट से ही चुनाव लड़े थे। लेकिन चुनाव के बाद वांछित परिणाम न मिलने पर ये दूरियां फिर बढ़ती गईं। पिछले कई दिनों से अखिलेश और शिवपाल के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था। इस पर पिछले दिनों विधानसभा में अपने उद्बोधन के दौरान खुद सीएम योगी ने चुटकी ली थी। और चाचा भतीजा यानी शिवपाल और अखिलेश के बीच पास रहकर भी दूरियां बढ़ने का जिक्र किया था।

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