रोहिंग्या के दर्द की हकीकत को जानने म्यांमार, बांग्लादेश जाएगा संयुक्त राष्ट्र परिषद का प्रतिनिधि मंडल

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधि मंडल म्यामां की सेना के क्रूर अभियान के कारण देश छोड़कर बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या मुस्लमानों और रखाइन प्रांत में पीछे रह गए लोगों की व्यथा जानने के लिए दोनों देशों के दौरे पर रवाना होंगे.
अगस्त, 2017 में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ सैन्य के बाद समुदाय के करीब 7,00,000 लोग देश छोड़कर बांग्लादेश में बने शरणार्थी शिविरों में चले गये थे. लेकिन अब भी कई हजार रोहिंग्या मुसलमान म्यामां में मौजूद हैं.
संयुक्त राष्ट्र में ब्रिटेन की राजदूत केरेन पियर्स ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संस्था ‘स्वयं मानवता के खिलाफ कथित मानवाधिकार उल्लंघन, दुर्व्यवहार एवं अपराध संबंधी कृत्यों के जमीनी हालात देख पाएगी.’ बौद्ध बहुमत वाली म्यामां की सरकार रोहिंग्या लोगों को बांग्लादेश से आए बंगाली प्रवासी करार देते हुए उसे जातीय समूह बताती है. उनका कहना है कि वह गैरकानूनी तरीके से देश में रह रहे हैं. म्यामां सरकार ने उन्हें वहां की नागरिकता देने से भी इनकार कर दिया ऐसे में वे बेवतन हैं. उनके पास किसी देश की नागरिकता नहीं है.
केरेन ने कहा कि बांग्लादेश में मौजूद शरणार्थियों की मदद के लिए संयुक्त राष्ट्र एक महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है.

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