अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर चलेगा महाभियोग, निचले सदन में पास हुआ प्रस्ताव

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग के आरोप में निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में बुधवार को हुई ऐतिहासिक वोटिंग में महाभियोग प्रस्ताव पास हो गया है। अब उन्हें सत्ता से हटाने के लिए उच्च सदन सेनेट में महाभियोग की प्रक्रिया चलेगी। विपक्षी डेमोक्रेट्स के बहुमत वाले हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में महाभियोग के पक्ष में 230 और विरोध में 197 वोट पड़े। इस तरह अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप देश के इतिहास के तीसरे ऐसे राष्ट्रपति बन चुके हैं जिन पर महाभियोग होगा।

सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत प्राप्त है और वहां देश के 45वें राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए मतदान होने की संभावना नहीं लगती। इससे पहले ​डॉनल्ड ट्रंप ने छह पन्नों के अपने संदेश में लिखा था कि जब मतदाता अगले साल मतदान करेंगे तब डेमोक्रेटों को अपनी कोशिशों पर पछतावा होगा।

दूसरा आरोप ट्रंप पर महाभियोग मामले में सदन की जांच में सहयोग नहीं करने का है। ट्रंप अगले महीने सीनेट में सुनवाई का सामना कर सकते हैं, लेकिन गौरतलब है कि निचले सदन में रिपब्लिकन का नियंत्रण है तथा ट्रंप भी रिपब्लिकन नेता हैं। ट्रंप को भरोसा है कि डेमोक्रेटों को उन्हें पद से हटाने के लिए जरूरी दो तिहाई सीनेटरों का समर्थन नहीं मिलेगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘वे केवल राष्ट्रपति पर प्रभुत्व दिखाना चाहते हैं। उनका उचित जांच का कोई इरादा नहीं है। वे कोई अपराध नहीं खोज सके इसलिए सत्ता और कांग्रेस के दुरुपयोग का अस्पष्ट सा आरोप लगा दिया।’’ उन्होंने जोर दिया कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और चरमपंथी वाम पक्ष उन पर महाभियोग चलाना चाहता है।

ट्रंप ने मंगलवार को स्पीकर पेलोसी को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘महाभियोग डेमोक्रेट सांसदों के शक्ति के अप्रत्याशित एवं असंवैधानिक दुरुपयोग को दर्शाता है। अमेरिकी विधायी इतिहास की लगभग ढाई शताब्दी में कभी ऐसा नहीं हुआ।’’ प्रतिनिधि सभा की न्यायिक समिति द्वारा पेश महाभियोग के अनुच्छेदों को संवैधानिक सिद्धांत, व्याख्या या न्यायशास्त्र के किसी भी मानक के तहत अयोग्य बताते हुए ट्रंप ने कहा कि इसमें किसी अपराध, दुष्कर्म और किसी अपराध का जिक्र नहीं है। ट्रंप ने कहा कि महाभियोग की इस प्रक्रिया की शुरुआत से अभी तक वह बुनियादी संवैधानिक अधिकार से वंचित रहे हैं।

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